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वो बात रहस्य वाली!

वो बात रहस्य वाली!

जापान का एक सीधा सादा किसान अपने खेत में बैठकर जमीन खोदकर उसमें नीले रंग के बीज बो रहा था। वह न इधर देखता था, न उधर। तभी एक आदमी उधर से निकला। उसने थोड़ी देर इतने तन्मय होकर किसान को जमीन खोदते और उसमें बीज बोते देखा तो उत्सुकतावश रुक गया। सड़क से ही आवाज लगाई, ‘ओहियो गोÊारिमासु(नमस्कार, शुभ दिन)।’

किसान ने कोई जवाब नहीं दिया। न उसकी तरफ देखा। शायद इसने सुना ही नहीं हो इस लिए वह आदमी फिर से बोला, ‘ओ तेन्की’(भाई, आज का दिन कितना अच्छा है)।
किसान ने फिर भी कोई उत्तर नहीं दिया। वह आदमी भी थोड़ा अड़ियल किस्म का था। फिर से बोला, ‘हैलो दोस्त, अपने बगीचे में क्या बो रहे हो?’ किसान ने उसकी ओर देखा और फिर वापस अपने काम में लग गया। परन्तु उस आदमी को फिर भी वहीं खड़ा देखकर उसने अपने मुंह पर उंगली रखकर चुप रहने का संकेत करते हुए उसे पास आने का इशारा किया।

‘दोस्त, तुमने मेरे नमस्कार का उत्तर क्यों नहीं दिया? तुम बोलते क्यों नहीं? किसी अजनबी से तो बड़ा शिष्ट व्यवहार करना चाहिए। समूचा जापान अपने शिष्ट व्यवहार के लिए जाना जाता है।’ अजनबी ने थोड़े शिकायती लहज में कहा।

किसान ने उसे एकदम नÊादीक बुलाया और फिर उसके कान में धीरे से फुसफुसाया, ‘दोस्त, मेरी असभ्यता के लिए मुझे माफ करना। मेरी ऐसी कोई भावना नहीं थी। वास्तव में मैं अपने बगीचे में सेम के बीज बो रहा हूं।’‘सेम के बीज! लेकिन उसमें रहस्य की क्या बात है? इस मौसम में तो हर कोई सेम के बीज बोता है। बल्कि कुछ लोग तो गीत गुनगुनाते हुए भी बीज बोते हैं।’

अजनबी ने आश्चर्य से कहा।

‘अरे भाई, इतनी जोर से मत बोलो! मैं इन कबूतरों से बहुत परेशान हूं। मैं जो भी बीज बोता हूं, ये कबूतर वे सब खा लेते हैं। यदि मैं जोर से बोलता, तो वे सुन लेते और आकर मेरे सारे बीज खा जाते। इसीलिए मैं तुम्हें उत्तर नहीं दे रहा था, समझे।’ किसान ने उसे चुप रहने का रहस्य बताया। अजनबी ने उस मूर्ख किसान को घूर कर देखा और मुस्कुराता हुआ चला गया। उससे बोलता भी क्या? ऐसी सोच वाले व्यक्ति को समझाने से कोई लाभ भी तो न था।

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